MAIN AUR MERA SMARTPHONE



मैं...
और मेरा स्मार्टफ़ोन

मेरा फ़ोन आजकल,
कुछ ज्यादा ही स्मार्ट हो गया है।

कल तक जो सिर्फ बजता था
काला सा कोने में सजता था
होता था हर घर मे सिर्फ एक
आज उस से भरी हुई है हर जेब
यह जादू है या कोई फरेब?
अब इसके बिना हर शख्स अधूरा
सोचो, यह अच्छा हुआ के बुरा?

मदद की चीज़ आज मजबूरी बन गई है
घबराहट और पसीने से वो पूरी सन गई है 
यह बजे, तो दिलों की धड़कने बढ़ जाती हैं
और बैटरी मरे, तो साँसे ही रुक जातीं हैं
और ऐसा क्यूँ ना हो मेरे भाई
बैंक अकाउंट से लम्बे नंबर,
कोई याद रख भी तो कैसे पाए?
हाए..!

कल तक मुट्ठी में आने वाली चीज़,
आज सर चढ़ के बोलती है
जीवन आसान करने की मशीन,
अब लाइफ़ में टेन्शन घोलती है। 

कल के दस्तूर, कब के मर चुके हैं
क्यूंकि, अलफ़ाज़ याद करने के दौर,
Thanks to auto-correct,
अब गुज़र चुके हैं।

आजू-बाजू देखो,
सारी गर्दनें झुक गईं हैं
एक वक़्त, नज़रों से होती थी बातें,
अब गुफ्तगू ही रुक गई है।

बढ़ गए है कॉंटैक्ट्स,
पर रिश्ते दम तोड़ रहे हैं
क्यूंकि घर और दिलों के कोने,
तो सिर्फ wi-fi ही जोड़ रहे हैं।

फ़ोन के बजने लगे जो अलार्म,
मुर्गों ने बाँग देना बंद कर दिया
इंसान करने लगे जब ट्वीट,
तो चिड़ियों ने चहकना मंद कर दिया

कहतें हैं, आज हथेली पे दुनिया है
पर हाथ की रेखाएँ तो छिप चुकी हैं
सोचतीं हूँ, मैं इसे उन्गलिओं पे नचातीं हूँ, 
की यह मुझे, कन्फ़्यूज़न बड़ी है!

Camera, games, apps और गाने,
फ़ोन में ना हो, तो सुनो सबके ताने
दोस्तों की खिल्लीटेक्नॉलोजी के बहाने
आगे क्या होगा, राम ही जाने!

यह कमबख्त बित्ती भर की चीज़,
ना हो तो मैं खलतीं हूँ
कल तक, यह मेरे साथ चलता था
आज, मैं इसके साथ चलतीं हूँ
आजकल मैं इसके साथ चलतीं हूँ

मैं और मेरा स्मार्ट फ़ोन!

                   - प्रीति सिंह 


                                                  
                                                 

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